!!हम सब एक है !!
फिरसे आज इस धरती का लाल
वतन के खातीर मर गया,
जाने कितनो की आँखे
आसुओ से वह भर गया |
ऐसे हि कितने वीरो ने
सीने पर गोली झेली है ,
अपने माँ के रक्षा खातीर
खून से होली खेली है |
धरम न देखा जाती न पुछी
जिनके लिये वह लड़ रहे है ,
बरफ, पानी और रेगिस्तान मे
दुश्मन पर भारी पड रहे है |
पर न जाने देशवासियो
तुमको यह क्या हो गया है ?
धरम जात के रंग मे कही पे
रंग मानवता का खो गया है |
गीता समझी, कुराण जाना
बायबल भी हम पढ रहे है ,
पर न जाने धरम के नाम
अपनो मे क्यो लड़ रहे है |
आपस आपस में लड़ना
ना धरम कोई सिखाता है ,
सच्ची राह है मानवता की
हर धर्मग्रंथ वह दिखाता है |
हस देगी भारत माँ भी
जब रास्ते हमारे नेक हो जाये
मानव मानव मे भेद भूलकर
चलो हम सब एक हो जाये !!!
जय हिंद ! वंदे मातरम !!
-तुषार वाजे (नाशिक)
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