गुरुवार, ११ फेब्रुवारी, २०१६

हस देगी भारत माँ भी ....


!!हम सब एक है !!

फिरसे आज इस धरती का लाल 

वतन के खातीर मर गया,

जाने कितनो की आँखे 

आसुओ से वह भर गया |


ऐसे हि कितने वीरो ने 

सीने पर गोली झेली है ,

अपने माँ के रक्षा खातीर 

खून से होली खेली है |


धरम न देखा जाती न पुछी 

जिनके लिये वह लड़ रहे है , 

बरफ, पानी और रेगिस्तान मे

दुश्मन पर भारी पड रहे है |


पर न जाने देशवासियो 

तुमको यह क्या हो गया है ?

धरम जात के रंग मे कही पे 

रंग मानवता का खो गया है |



गीता समझी, कुराण जाना 

बायबल भी हम पढ रहे है ,

पर न जाने धरम के नाम

अपनो मे क्यो लड़ रहे है | 


आपस आपस में लड़ना 
ना धरम कोई सिखाता है ,

सच्ची राह है मानवता की  

हर धर्मग्रंथ वह दिखाता है | 


हस देगी भारत माँ भी 

जब रास्ते हमारे नेक हो जाये 

मानव मानव मे भेद भूलकर 

चलो हम सब एक हो जाये !!!



जय हिंद ! वंदे मातरम !!


-तुषार वाजे (नाशिक)

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