🍁🌴जागतिक पर्यावरण दिन की शुभकामनाएं 🌳🌲
तेज़ धुप से बचकर मै एक
वृक्ष के नीचे सो रहा था,
नींद उडी जब सुना स्वयं एक
वृक्ष वही पर रो रहा था......।🌳😥
पूछा मैंने हैरानी से
क्या हुआ? क्यों रो रहे हो ?
"अकेला हो रहा वृक्ष यह जिसके*
छाँव मे तुम सो रहे हो....।"
बरसो बीते इस बात को
जब जग भी सारा हरा-भरा था....🌾🌳🌷
खिलखिलाती थी सारी दुनिया
नाम उसका *वसुंधरा* था....।🌏
काँट दिए वह भी वृक्ष जिसपर
घर बसते थे परिंदों के.....🕊
हात न काँपे किंचित भी उसवक्त
जालिम उन दरिंदो के.... ।👺
ऊष्मा प्रचण्ड बढ़े तेज़ी से🔥
रास्तो को यंत्र से भर दिया ...🏎🏍🚍🚕🚗
साँसों को नहीं रही स्वच्छ हवा
गंगा को भी मैला कर दिया ....।
कर दिया सबने कलुषित धरा को
अब न आते वसंत बहार
सोच तू दिल से जित नही तेरी
यह तो मानवजाति का संहार .....😱
क़ुदरत का कानून हैं यह
न बदला था न बदल सकेगा ...
हात में तेरी मौत का तांडव
रोक ले पगले बाद न रुकेगा....।
चिल्लाने का वक्त बिता अब
समय न गवां तू स्याही में ,✍🏻📰
शीघ्र कृति कर अब ना रुक तू
दो पेड़ लगा दे अमराई मे.....।🌳🌳
5 जून 2016
✍🏻 *तुषार वाजे (काव्यांजली)
#WorldEnvironmentDay
#www.tusharwaje91.blogspot.com
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा